दोस्तों आज हमारे प्यारे कवि, हमारे दोस्त मनमोहन जी का जन्मदिन है
उनके जन्मदिन पर बहुत सारी शुभकामनायें
उनके कविता सागर में से एक आध बूँद कविता ब्लॉग पर डाल रहा हूँ
याद नहीं
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स्मृति में रहना
नींद में रहना हुआ
जैसे नदी में पत्थर का रहना हुआ
ज़रूर लम्बी धुन की कोई बारिश थी
याद नहीं निमिष भर की रात थी
या कोई पूरा युग था
स्मृति थी
या स्पर्श में खोया हाथ था
किसी गुनगुने हाथ में
एक तक़लीफ थी
जिसके भीतर चलता चला गया
जैसे किसी सुरंग में
अजीब ज़िद्दी धुन थी
कि हारता चला गया
दिन को खूँटी पर टांग दिया था
और उसके बाद कतई भूल गया था
सिर्फ बोलता रहा
या सिर्फ सुनता रहा
ठीक-ठीक याद नहीं
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ग़लती
उन्होंने झटपट कहा
हम अपनी ग़लती मानते हैं
ग़लती मनवाने वाले ख़ुश हुएकि आख़िर उन्होंने ग़लती मनवा कर ही छोड़ी
उधर ग़लती ने राहत की साँस लीकि अभी उसे पहचाना नहीं गया
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शर्मनाक समय
कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है
और उस स्मृति के प्रति
बची-खुची कृतज्ञता
या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए !
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यकीन
एक दिन किया जाएगा हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया
हिसाब एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए और अपनी कह नहीं सके आएंगे और अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधूरा नक़्शाफिर खोजा जाएगा
- मनमोहन
हिसाब एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए और अपनी कह नहीं सके आएंगे और अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधूरा नक़्शाफिर खोजा जाएगा
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