Thursday, September 24, 2015

शुभा की कविता -


युवा महिलाओं को रात की खूबसूरती देखने दो

उन्हें चांदनी पीने दो

डरे हुए लोगों 

उन्हें समझने दो 

प्रकृति और समाज के रहस्य

कितने दुख उठाने के बाद

वे पहुंची हैं रात तक

उन्हे पुकार रही हैं

पूर्णिमा और अमावस

दुख और खु़शियों से भरा जीवन

उनके आगे रहने दो.

-शुभा

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