मनमोहन की कविता
यकीन
एक दिन किया जाएगा हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया
हिसाब
एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए
और अपनी कह नहीं सके
आयेंगे और
अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधूरा नक्शा
फ़िर खोजा जाएगा
यकीन
एक दिन किया जाएगा हिसाब
जो कभी रखा नहीं गया
हिसाब
एक दिन सामने आएगा
जो बीच में ही चले गए
और अपनी कह नहीं सके
आयेंगे और
अपनी पूरी कहेंगे
जो लुप्त हो गया अधूरा नक्शा
फ़िर खोजा जाएगा