Saturday, May 16, 2009


मनमोहन की कविता

यकीन



एक दिन किया जाएगा हिसाब

जो कभी रखा नहीं गया

हिसाब

एक दिन सामने आएगा

जो बीच में ही चले गए

और अपनी कह नहीं सके

आयेंगे और

अपनी पूरी कहेंगे

जो लुप्त हो गया अधूरा नक्शा

फ़िर खोजा जाएगा




Thursday, May 7, 2009

एक नई शुरुआत हुई है .... अभी लडाई जारी है .....
सदियों से जो गए दबाये आज उन्हीं की बारी है ...
हर इन्सान को न्याय मिले कोशिश ये ही हमारी है...
गॉंव वही मजबूत है जिस में सब की हिस्से दारी है....